अग्रतः संस्कृतं मेऽस्तु पुरतो मेऽस्तु संस्कृतम् ।
संस्कृतं हृदये मेऽस्तु विश्वमध्येऽस्तु संस्कृतम् ॥
संस्कृत में अपार ज्ञान समाहित हैं, संस्कृत में रोजगार न होने से हर साल संस्कृत के शिक्षा संस्थान बन्द होने की अवस्था में हैं, या बंद हो चुके हैं, उसका कारण आप हम सब जानते हैं, परन्तु हम सब मिलकर एक बार पुनः प्रयास करने की कोशिस कर रहे हैं।
भारत एवं विश्व भर में हजारों से अधिक संख्या में संस्कृत सेवक है, संस्कृत विद्यार्थी हैं, और सब यही चाहते हैं, की भारत के उस मूल ज्ञान को संस्कृत, संस्कृति, संस्कार, को बढ़ावा मिले, और अगर हम सब थोड़ा-थोड़ा अपना योगदान देंगे, तो लोग पुनः गुरुकुल पद्धति की और लौटेंगे, जो कि भारत का आधार हैं, संस्कृत का विकास होगा,
तो संस्कृत में छुपे हुए ज्ञान के भंडार को सब लोगों तक पहुँचाने के लिए शोध कार्य को बढ़ावा मिलेगा व अन्य रोजगार के अवसर सामने आएंगे।

Our Story
संस्कृत भाषा का महत्व और प्रभाव विश्वभर में फैला हुआ है। यह भाषा न केवल हमारी संस्कृति और धरोहर का हिस्सा है, बल्कि यह हमारे ज्ञान और विज्ञान की भी आधारशिला है।
"संस्कृत" भारतीय संस्कृति की आत्मा,
भारतीय संस्कृति में संस्कृत का विशेष स्थान है। यह भाषा हमारे पूर्वजों की बुद्धिमत्ता और ज्ञान का प्रतीक है।
संस्कृत में लिखे गए ग्रंथों में हमारे जीवन के सभी पहलुओं का वर्णन है, जैसे कि धार्मिक अनुष्ठान, विज्ञान, दर्शन, साहित्य और कला।
आइए हम संस्कृत के महत्व को समझें और इसे अपने जीवन में अपनाएं। आइए हम अपनी संस्कृति और धरोहर को संजोए रखें और आने वाली पीढ़ियों को इसके महत्व के बारे में बताएं।