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इन मठों को शंकराचार्य पीठ कहते हैं।

लेखक की तस्वीर: संस्कृत का उदयसंस्कृत का उदय

आदि शंकराचार्य ने भारत के चारों कोनों में चार मठों की स्थापना की थी।


ज्योतिर्मठ, बदरिकाश्रम (उत्तर)

शृंगेरी मठ, रामेश्वरम (दक्षिण)

गोवर्धन मठ, पुरी (पूर्व)

शारदा मठ, द्वारका (पश्चिम)


इन चारों मठों के प्रमुख को शंकराचार्य कहा जाता है।



ज्योतिर्मठ में अथर्ववेद रखा गया है और इसका महावाक्य 'अयमात्मा ब्रह्म' है।

गोवर्धन मठ में ऋग्वेद रखा गया है और इसका महावाक्य 'प्रज्ञानं ब्रह्म' है।

शारदा मठ में सामवेद रखा गया है और इसका महावाक्य 'तत्वमसि' है.

शृंगेरी मठ में यजुर्वेद रखा गया है और इसका महावाक्य 'अहं ब्रह्मास्मि' है।


शंकराचार्य पदवी एक परंपरा है और धर्म सत्ता का सबसे बड़ा पद है।



शंकराचार्य के लिए शास्त्रार्थ और विद्वता की परीक्षा की परंपरा रही है.

 
 
 

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नमो नमः

एक भारत, नेक भारत, अनेक परंपराएं

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